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अयोध्या राम मंदिर प्रतिमा: भगवान श्री राम के विग्रह की हैं अनेक विशेषताएं
Ayodhya Ram Mandir Pratima: गर्भगृह में विराजमान रामलला के विग्रह के चेहरे की पहली तस्वीर आ गई है। यह विग्रह बेहद सुंदर है और भावुक कर देने वाला है। आज इस लेख में हम इस विग्रह की व्याख्या करते है। इस विग्रह को ध्यान से देखे तो यह विग्रह काले पत्थर से बनाया गया है। रामलला की आयु 5 वर्ष बताई गई है और उनके चारों और कुछ प्रतीक बनाए गए है जिनसे इस विग्रह को ऊर्जा प्राप्त होगी।
विग्रह के खास चिह्न
आम तौर पर जो प्रकट विग्रह होते है वो कुछ ख़ास चिह्न और निशानी लेकर प्रकट होते है जो की उनकी शक्ति को बढ़ा देते है। मूर्तिकार ने इसी बात का विशेष ध्यान रखा है। अगर ध्यान से देखें तो कहीं से भी पत्थर को तोड़ा नहीं गया है। श्री राम लला विराजमान के मस्तक के ठीक ऊपर भगवान सूर्य नारायण का प्रतीक है। सूर्य जगत की आत्मा है और श्री राम सूर्यवंशी है इसलिए उनके मस्तक के ऊपर आशीर्वाद के रूप में सूर्य नारायण को रखा गया है।
मूर्ति के दाएं ओर ॐ और स्वस्तिक
मूर्ति के दाएं ओर ॐ और स्वस्तिक का चिह्न है। शिवपुराण विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिव के पांच मुख है और ॐ उनके मुख से निकली पहली ध्वनि है। शब्द सिद्धि के लिए ॐ बेहद ज़रूरी है इसलिए मूर्तिकार ने ॐ के प्रतीक को बनाया। इसके बाद स्वास्तिक को भी जगह दी जिसके बिना कोई शुभ कार्य नहीं हो सकता। स्वास्तिक को हिन्दू धर्म में गणेश जी का प्रतीक माना गया है इसलिए विघ्नहर्ता के रूप में स्वास्तिक विराजमान हुआ है।
मूर्ति के बायीं ओर चक्र और गदा
इसके बाद विग्रह के बायीं ओर देखे तो चक्र और गदा है। इसका सीधा सम्बन्ध विष्णु से है। दरअसल विष्णु को देवताओं का नायक कहा गया है और देवासुर संग्राम में विष्णु ही देवताओं की मदद करते है। श्री राम उन्हीं विष्णु के अवतार हैं और वो चक्र गदा को धारण करते हैं। इसलिए आसुरी शक्तियों का नाश करने के लिए इस विग्रह को चक्र गदा से आभामंडित किया गया है।
श्री विष्णु के 10 अवतार
अगर और ध्यान से देखे तो दाएं और बाएं दोनों ओर श्री विष्णु के 10 अवतारों के प्रतीकों को उकेरा गया है। मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार को दोनों ओर जगह दी गई है।
हनुमान जी को श्री राम के चरणों के पास स्थान
दायीं ओर वामन अवतार के नीचे हनुमान जी विराजमान है जो शिव के रूद्र रूप है और त्रेता में उन्होंने श्री राम की सेवा के लिए रुद्रावतार लिया था। इसलिए मूर्तिकार ने हनुमान जी को श्री राम के चरणों के पास स्थान दिया है। श्री राम के चरण के पास ही कमल है जो श्री यानी लक्ष्मी का प्रतीक है ,श्री विष्णु कभी भी अपनी शक्ति के बिना कोई कार्य नहीं करते इसलिए कमल को शक्ति रूप में विराजित किया गया है।
गरुड़ को भी दिया स्थान
बाईं ओर कल्कि अवतार के प्रतीक के नीचे गरुड़ को विराजित किया है। महाभारत के अनुसार ऋषि कश्यप और विनता के पुत्र गरुड़ को श्री विष्णु ने अपना वाहन बनाया था इसलिए मूर्तिकार ने इस बात का भी विशेष ख्याल किया और गरुड़ को श्री राम के चरण के पास स्थान दिया है। इससे श्री विष्णु की ऊर्जा इस विग्रह को प्राप्त होती रहेगी।