NAI SUBEH
हनुमान चालीसा: जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी द्वारा ठीक किया गया
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार।बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।। जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागररामदूत अतुलित बल धामा,…
गुलाम की सीख
रक्षा सूत्र मौली बांधने के नियम, कब और क्यों बांधी जाती है।
येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल।। मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के…
कपूर का पौधा कैसा होता है? घर में लगाने से क्या फायदे हैं?
हम सभी अपने घर की पूजा में कपूर जलाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि कपूर कहां से आता है? कैसा होता है इसका पौधा? क्या इस पौधे को घर में लगा सकते हैं, लगा लिया तो क्या फायदे…
इतिहास में
११ अप्रैल का इतिहास- ** 11 अप्रैल 1983 को 55वे ऑस्कर अवॉर्ड समारोह में बेन किंग्स्ले की फिल्म गांधी को कुल 8 ऑस्कर अवॉर्ड मिले थे। ** 1930 में आज ही के दिन उत्तराखंड के ऋषिकेश में बना लक्ष्मण झूला…
सुबह 5 मिनट की गहरी सांस शरीर के लिए है सबसे पावरफुल दवा
कैसे लें गहरी सांस ?: इसके लिए आप जमीन पर एक मैट (दरी, चटाई या चादर) बिछा लें। उस पर आराम से बैठ जाएं। नाक से धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। गहरी सांस लेने के लिए आप प्राणायाम कर सकते…
मोक्षदा एकादशी
इसे वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन भगवद्गीता का दिव्य उपदेश भी किया था, इसलिये इस दिन गीता जयन्ती भी मनायी जाती है। मोक्षदा एकादशी की कथा- महाराज युधिष्ठिर ने कहा- हे भगवन! आप तीनों लोकों…
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्
। आदि लक्ष्मी । सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि चन्द्र सहोदरि हेममये। मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि मञ्जुलभाषिणी वेदनुते।। पड़्कजवासिनि देवसुपूजित सन्दुणवर्षिणि शान्तियुते। जयजय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मी सदा पालय माम् ।।१।। । धान्यलक्ष्मी। अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि वैदिकरुपिणि वेदमय। क्षीरसमुद्भ मङ्गलरुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।। मङ्गलदायिनि…
अयि गिरि नन्दिनि महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१॥ सुरवर वर्षिणि दुर्धर धर्षिणि दुर्मुख मर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिष मोषिणि घोषरते। दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे…