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इस बार गुप्त नवरात्र 12 से 21 फरवरी तक
12 से 21 फरवरी तक माघ महीने की नवरात्रि रहेगी। इस बार गुप्त नवरात्र माता के पवित्र दिन शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं। साथ ही कुंभ संक्रांति पर्व भी होने से इनका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। इस नवरात्रि में छठ तिथि बढ़ जाने से 9 की बजाय 10 दिन तक देवी आराधना की जा सकेगी। इन दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा करने की परंपरा है। जिसे किसी के सामने नहीं किया जाता है। इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
पंचग्रही योग में घट स्थापना
राजस्थान के कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय कुमार तिवारी बताते हैं कि इस बार मकर राशि में बन रहे गजकेसरी, बुधादित्य और विशेष पंचग्रही योग में घट स्थापना होने से देवी की आराधना से शुभ फल और बढ़ जाएगा। साथ ही देव गुरु बृहस्पति के उदित होने से ये नवरात्र और भी शुभ फल देने वाले रहेंगे। सितारों की विशेष स्थिति में गुप्त नवरात्र शुरू होने से देश पर पड़ने वाले ग्रहों के अशुभ असर में कमी आ जाएगी।
मानसिक शुद्धि का उत्सव
गुप्त नवरात्र आध्यात्मिक रूप से भी खास है। ये पर्व आत्मिक और मानसिक शुद्धि का उत्सव है। इसे चेतना का पर्व भी कहा जाता है। इन नौ दिनों में व्रत-उपवास के साथ ही नियम और संयम का पालन किया जाता है। ऐसा करते हुए अपने मन और इंद्रियों को काबू में रखा जाता है। जिससे मन पवित्र रहता है और ब्रह्मचर्य का पालन होने से बुद्धि और चेतना भी बढ़ती है।
दस महाविद्याएं
देवी दुर्गा की गुप्त साधना और तंत्र-मंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि में देवी काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, ध्रूमावती, बगलामुखी, मातंगी और माता कमला की पूजा की जाती हैं। ये ही दश महाविद्याएं हैं। विद्वानों का कहना है कि इनकी पूजा और साधना से हर तरह की परेशानी दूर होती है और मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
महाकाल संहिता में बताए 4 नवरात्र
साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती है। पहली माघ शुक्लपक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्लपक्ष में। इस तरह सालभर में कुल चार नवरात्र होते हैं। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। महाकाल संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है। इनमें विशेष तरह की इच्छा की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किया जाता है।
तंत्र साधना और गोपनीय पूजा
इस बार माघ महीने के गुप्त नवरात्र 12 से 21 फरवरी तक रहेंगे। नवरात्रि में जहां भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना होती है, वहां, गुप्त नवरात्र में देवी की दस महाविद्या की पूजा होती है। गुप्त नवरात्र की आराधना का विशेष महत्व है और साधकों के लिए ये विशेष फलदायक है। सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों होती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा ही की जाती है। इन दिनों में आमतौर पर ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता, अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता भी उतनी ही ज्यादा मिलेगी।