NAI SUBEH
अपनी ऊर्जा को अच्छे काम को पूरा करने में लगाना चाहिए
रवींद्रनाथ टैगोर महान कवि थे और उनका व्यक्तित्व भी बहुत निराला था। वे जो भी काम करते थे, उसे तपस्या मानकर करते थे। अपने काम में पूरी तरह डूब जाते थे।
टैगोर के अच्छे कामों से और उनकी प्रसिद्धि से जलने वाले लोग भी काफी अधिक थे। कुछ लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से समाज में टैगोर की आलोचना करनी शुरू कर दी। ये बातें टैगोर तक भी पहुंच रही थीं कि लोग बुराई कर रहे हैं। कभी-कभी तो लोग उनके सामने ही अपमानजनक शब्द कह देते थे, लेकिन टैगोर किसी का विरोध नहीं करते। आलोचकों का सामना मुस्कुराकर करते थे। ऐसी बातों से प्रभावित नहीं होते और अपने काम में लगे रहते थे।
एक दिन प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र ने टैगोर से कहा, ‘ये जो आपकी आलोचना और निंदा हो रही है, ये सुनकर हमें अच्छा नहीं लगता है। आप कहें तो हम इनका विरोध करेंगे। इन सभी को सबक सिखाएंगे। और, मैं आपसे भी यही कहूंगा कि आलोचकों को सबक सिखाएं।’
टैगोर ने कहा, ‘ये काम मुझसे नहीं हो पाएगा। निंदा करने वालों का अपना स्तर है और मेरा अपना स्तर है। मैं नीचे उतरकर उनके स्तर पर नहीं आ सकता। और, उनको उनका स्तर छोड़ने की सलाह भी नहीं दे सकता। क्या फर्क पड़ता है? अगर हम बड़े काम करना चाहते हैं तो हमें ऐसी बातों को नजरअंदाज करना आना चाहिए। तुम भी ये बातें दिमाग से निकाल दो।’
सीख – रविंद्रनाथ टैगोर ने हमें ये शिक्षा दी है कि जब हमें बड़े काम करने हैं तो अपनी ऊर्जा बुराई करने वाले लोगों पर खर्च नहीं करनी चाहिए। अपनी ऊर्जा को अच्छे काम पूरा करने में लगाना चाहिए। बड़े काम करने वालों की तो निंदा होती ही है। इसीलिए इन बातों पर ध्यान देने से कोई लाभ नहीं है। सिर्फ अपने काम पर फोकस करें।