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चैत्र नवरात्रि: शुभ मुहूर्त में करें सही विधि से घट स्थापना
13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। लोग तरह-तरह मां दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना या घट स्थापना से होती है। कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त से लेकर इसकी पूरी विधि और इसके नियम-
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त- नवरात्रि का पहला दिन मंगलवार को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर होगा। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इसी समय से शुरू हो जाएगा जो 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
जो लोग द्विस्वभाव लग्न में घट स्थापना करना चाहते हैं वो सुबह 4 बजकर 38 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक घट स्थापना कर सकते हैं। हालांकि मान्यता के अनुसार सूर्योदय के बाद ही घट स्थापना की जानी चाहिए।
इस दिन विष कुंभ योग है। नवरात्रि का पहला दिन मंगलवार को है इसलिए पहला चौघड़िया रोग का होगा। कलश स्थापना इसी चौघड़िया में करना शुभ रहेगा। जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना करना चाहते हैं वो सुबह 4 बजकर 27 मिनट से लेकर वो 5 बजकर 58 मिनट तक कर सकते हैं ।
राहु काल का समय दोपहर 3 बजकर 34 मिनट से लेकर 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आपको पूजा-पाठ संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। इस पूरे दिन का विशेष समय सुबह 9 बजकर 10 मिनट तक का ही है। सुबह 8.30 से पहले अखंड ज्योत जला लें। नवरात्रि में सन्धि पूजा का मुहूर्त 21 अप्रैल रात 12 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर रात को 1 बजकर 7 मिनट तक रहेगा ।
ऐसे करें तैयारी- नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग के कपड़े का प्रयोग करें. पूजा के लिए तैयारी पहले कर लें। इसके लिए मिट्टी की हांडी, कलश, नारियल, शुद्ध मिट्टी, गंगाजल, पीतल या तांबे का कलश, कलावा, इत्र, सुपारी, सिक्के, अशोक या आम के पांच-पांच पत्ते, पान का पत्ता, अक्षत और फूल-माला एकत्रित कर लें। दुर्गा मां के पूजन में दूर्वा का इस्तेमाल नहीं होता है ।
ऐसे करें स्थापना- कलश की स्थापना ईशान कोण में करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मिट्टी की हांडी लेकर उसमें थोड़ी मिट्टी डाल दें। अब इस पर सात अनाज बिखेर दें। एक परत फिर मिट्टी की बनाकर सात अनाज बिखेर दें। इसी तरह से मिट्टी और अनाज की तीन परत बनाएं. इस पर एक मटका रखें. मटके में जल, सुपारी, सिक्का और औषधि डालें. साथ-साथ गणेश जी की भी स्थापना कर लें। गणेश जी की स्थापना हमेशा कलश की बाईं और करनी चाहिए। कलश में जल भर कर इसमें सुपारी, इत्र डालकर इस पर एक नारियल रखें, देवी को पुकारते हुए नारियल पर मौली बांधें। अब इस नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मटके के ढक्कन पर रखें। याद रखें कि अखंड दीपक पहले प्रज्वलत करना है। इसके लिए घी का दीपक जलाएं. इसके बाद दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। शक्ति शिव के बगैर अधूरी हैं इसलिए इसके बाद शिव का पाठ जरूर करें।
जिस तरह पृथ्वी को ग्लोब में बताया गया है। उसी तरह जल से भरा कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है। कलश में पंचतत्व और ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व की स्थापना की जाती है। नौ दिनों तक उस सकारात्मक ऊर्जा की पूजा की जाती है जिसकी वजह से धरती पर छोटे से बड़े तक हर तरह के जीव को जीवन मिला है। इस तरह कलश में जीवनी शक्ति की स्थापना होती है और नौ दिनों तक उसकी पूजा की जाती है।
आज घट स्थापना के साथ नौ देवियों की पूजा शुरू हो जाएगी। इस बार नवरात्र में तिथियों की घट-बढ़ नहीं होने से 21 अप्रैल को रामनवमी पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषीयों के मुताबिक इस नवरात्र में ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति के कारण हर दिन शुभ योग बन रहा है। इस कारण नवरात्र में खरीदारी के लिए हर दिन मुहूर्त रहेगा। माना जाता है कि देवी के इन नौ दिनों के दौरान की गई खरीदारी से समृद्धि और सुख बढ़ता है। आमतौर पर नवरात्र में प्रॉपर्टी और व्हीकल की खरीदी-बिक्री शुभ मानी जाती है।
शुभ मुहूर्त: सर्वार्थसिद्धि, महालक्ष्मी और पुष्यामृत योग
इस नवरात्र में तिथि, वार और नक्षत्रों से मिलकर 2 सर्वार्थसिद्धि, 1-1 अमृतसिद्धि और पुष्यामृत योग साथ ही 3 रवियोग भी बनेंगे। इनके साथ ही आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी रहेंगे। प्रॉपर्टी में निवेश और खरीदी-बिक्री के लिए 16 अप्रैल को बहुत अच्छा मुहूर्त है। वहीं, वाहन व्हीकल की खरीदारी और बेचने के लिए भी 16 अप्रैल का मुहूर्त शुभ रहेगा। नवरात्र के हर दिन बनने वाले शुभ योगों में नए कामों की शुरुआत करना श्रेष्ठ माना गया है।
13 अप्रैल, मंगलवार – सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग 14 अप्रैल, बुधवार – सर्वार्थसिद्धि योग 15 अप्रैल, गुरुवार – आयुष्मान योग (विशेष मुहूर्त – व्हीकल खरीदी) 16 अप्रैल, शुक्रवार – सौभाग्य और शोभन योग (विशेष मुहूर्त – संपत्ति में निवेश, खरीदी-बिक्री और व्हीकल खरीदारी) 17 अप्रैल, शनिवार – महालक्ष्मी योग 18 अप्रैल, रविवार – रवियोग 19 अप्रैल, सोमवार – महालक्ष्मी योग 20 अप्रैल, मंगलवार – मंगल-पुष्य (पुष्यामृत योग) 21 अप्रैल, बुधवार – रवियोग