जीवन मे दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है?

एक महिला रोज मंदिर जाती थी । एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी ।

इस पर पुजारी ने पूछा: क्यों ?

तब महिला बोली: मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं । कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं ।

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा: सही है । परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं ।

महिला बोली : आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा: एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये ।

महिला बोली: मैं ऐसा कर सकती हूँ ।

फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया । उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे –

1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?

2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?

3.क्या किसी को पाखंड करते देखा?

महिला बोली:  नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा ।

फिर पुजारी बोले: जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया ।

अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा| सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें ।

” जाकी रही भावना जैसी ।
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ।।”

जीवन मे दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है ?

  • ना भगवान,
  • ना गृह-नक्षत्र,
  • ना भाग्य,
  • ना रिश्तेदार,
  • ना पडोसी,
  • ना सरकार,

जिम्मेदार आप स्वयं है ।

1) आपका सरदर्द, फालतू विचार का परिणाम ।

2) पेट दर्द, गलत खाने का परिणाम ।

3) आपका कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम ।

4) आपका दुर्बल/ मोटा/ बीमार शरीर, गलत जीवन शैली का परिणाम ।

5) आपके कोर्ट केस, आप के अहंकार का परिणाम ।

6) आपके फालतू विवाद, ज्यादा व् व्यर्थ बोलने का परिणाम ।

उपरोक्त कारणों के अलावा सैकड़ों कारण है और बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं । इसमें ईश्वर दोषी नहीं है ।
अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारिकी से विचार करें तो पाएंगे की कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे है ।