घनश्याम नायक यानी हास्य का नायक

टीवी पर आने वाले हास्य व संदेशात्मक धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Tarak Mehta ka Ulta Chasma) में नजर आने वाले श्री घनश्याम नायक जी यानी नट्टू काका (Mr. Ghanshyam Nayak AKA Mattu Kaka) दर्शकों के बीच नहीं रहे। वे काफी लंबे वक्त से कैसर से पीड़ित थे। वे तारक मेहता का उल्टा चश्मा के साथ शुरुआत से ही जुड़े हुए थे।

नट्टू काका ने अपनी हास्य शैली से सभी को खूब हंसाया। शो में वे जेठालाल के सहायक का किरदार किया करते थे और अपने अनोखे अंदाज से सभी को हंसाते थे। शो में उनकी प्यारी मुस्कराहट और अंग्रेजी बोलने के अंदाज के सभी दीवाने थे।

नट्टू ही पहचान बनी
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में नट्टू काका का किरदार निभाने वाले श्री घनश्याम नायक जी का चाहने वालों में नट्टू काका के रूप में स्थापित नाम हो गया था।

मेकअप में जाना चाहते थे
घनश्याम नायक अभिनय को लेकर इतने दीवाने थे कि वह आखिरी सांस तक काम करना चाहते थे। उनकी आखिरी इच्छा थी कि वह मेकअप पहनकर ही मरें। इसका जिक्र घनश्याम नायक जी ने नवम्बर 2016 में रविन्द्र नाट्य गृह इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक निजी मुलाकात में मुझसे किया था। उनके साथ तारक मेहता का उल्टा चश्मा धारावाहिक के अन्य कलाकार भी थे। नट्टू काका ने कहा था, ‘मैं आखिरी सांस तक काम करना चाहता हूं। जब तक जिंदा हूं तब तक इस इंडस्ट्री में काम करना चाहता हूं, अभिनय करना चाहता हूं। मेरी आखिरी इच्छा है कि मैं मेकअप पहनकर ही मरूं’

दिलों पर राज किया
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ का शायद ही ऐसा कोई किरदार है, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक के जेहन में न बसा हो। ‘जेठालाल’ से लेकर ‘टप्पू’, ‘नट्टू काका’ और ‘डॉ. हाथी’ के किरदार ने सबके दिलों पर राज किया। जिस तरह डॉ. हाथी का किरदार निभाने वाले कवि कुमार आजाद की मौत पर लोगों का दिल टूटा था, आज वैसे ही टूटा है। डॉ. हाथी यानी कवि कुमार आजाद की तरह ही नट्टू काका (घनश्याम नायक) भी लोगों के दिलों में रच बस गए थे। ये दो ऐसे किरदार रहे, जिन्होंने सबके दिलोदिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ी है। कवि कुमार आजाद का साल 2018 में निधन हो गया था और अब 2021 में श्री घनश्याम नायक जी भी चल बसे।

कैसर के बावजूद अभिनय साथ चला
घनश्याम नायक भले ही बुजुर्ग थे और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन काम के प्रति लगन और दर्शकों का मनोरंजन करने का जज्बा एकदम चौंकाने वाला था। तभी तो इस वर्ष अप्रैल में जब उनका कैंसर का परीक्षण किया गया था, तो उससे पहले भी वह दमण और गुजरात से ‘तारक मेहता…’ की शूटिंग से वापस लौटे थे। डॉक्टरों ने जब कह दिया था कि वह काम कर सकते हैं और कोई दिक्कत नहीं है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। उनका संदेश था- सकारात्मकता फैलाना।

बचपन से कलाकार थे
घनश्याम नायक को भले ही ‘नट्टू काका’ बनकर प्रसिद्धि मिली, लेकिन वे दशकों से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री (TV and Film Industry) का हिस्सा थे। घनश्याम नायक यानी ‘नट्टू काका’ ने बतौर बाल कलाकार दादा मुनि अशोक कुमार के साथ 1960 में आई फिल्म ‘मासूम’ से बाल कलाकार के रूप में अपनी अभिनय यात्रा की शुरुआत की थी। तब से लेकर अब तक वह लगातार अभिनय में सक्रिय रहे। करीब 60 साल के सफर में घनश्याम नायक ने हिंदी फिल्मों और टीवी से लेकर गुजराती फिल्मों तक में काम किया।

350 से भी ज्यादा टीवी शोज, 250 गुजराती, हिंदी फिल्में करने के साथ ही 350 से भी ज्यादा टीवी सीरियल और करीब 250 हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया।

बॉलीवुड में वे ‘बरसात’, ‘घातक’, ‘चाइना गेट’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘तेरा जादू चल गया’, ‘लज्जा’, ‘तेरे नाम’, ‘चोरी चोरी’ तिरंगा, क्रांतिवीर और ‘खाकी जैसी’ ढेरों फिल्मों में दिखे। इसके अलावा उन्होंने 100 गुजराती नाटकों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

एक अच्छे गायक भी रहे
अभिनय के साथ ही श्री घनश्याम नायक जी गायकी के क्षेत्र में भी नाम कमाया। वे एक गायक (playback singer) भी रहे। घनश्याम जी ने आशा भोसले और महेंद्र कपूर जैसे मशहूर गायकों के साथ 12 गुजराती फिल्मों में अपनी आवाज दी। इसके अलावा उन्होंने 350 गुजराती फिल्मों के लिए डबिंग भी की।

बतौर बाल कलाकार, गायक व हास्य कलाकार के रूप में विविध रंगी श्री घनश्याम नायक जी की कमी उनके चाहने वालों को हमेशा खलेगी। अपनी अदाकारी, गायकी व हास्य के पर्याय श्री घनश्याम नायक जी यानी ‘नट्टू काका’ आप बहुत याद आओगे।