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251 पन्नों का संविधान! 6 महीने! और 1 लेखक! जानिए कौन था वह गुमनाम नायक
भारतीय संविधान-दुनिया के किसी प्रभुत्व-सम्पन्न देश का सबसे लंबा लिखा गया संविधान है, जिसे हम हमेशा डॉ. बी. आर. आंबेडकर से जोड़ते है। ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर को भारतीय संविधान का रचियेता होने का श्रेय प्राप्त है। लेकिन, बहुत ही कम लोग उस शख्स के बारे में जानते हैं, जिन्होंने खुद अपने हाथों से पूरे संविधान को लिखा!
26 नवंबर 1949 को संविधान का पहला ड्राफ्ट बनकर तैयार हुआ और ये किसी उत्कृष्ट कृति से कम नहीं है। हमारे संविधान के हर एक पेज के बॉर्डर को नन्दलाल बोस और उनके छात्रों ने डिज़ाइन किया और इसे खूबसूरत कलाकृतियों से सजाया। लेकिन संविधान के प्रस्तावना और अन्य विषय-वस्तुओं को ज़िन्दगी दी, प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने। 17 दिसंबर 1901 को कैलिग्राफर्स/सुलेखकों के घर में जन्में प्रेम बिहारी ने बहुत ही कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया। उनका लालन-पोषण उनके दादाजी मास्टर राम प्रसादजी सक्सेना और चाचा, महाशय चतुर बिहारी नारायण सक्सेना ने किया। उनके दादाजी पारसी और अंग्रेजी भाषा के स्कॉलर थे। यहाँ तक कि उन्होंने अंग्रेजों को भी पारसी भाषा पढ़ाई थी।
प्रेम बिहारी ने कैलीग्राफी अपने दादाजी से सीखी।
दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रैजुएशन पास करने के बाद प्रेम बिहारी कैलीग्राफिक आर्ट में मास्टर हो गए थे। इसलिए जब भारतीय संविधान बनकर प्रिंट होने के लिए तैयार था तो जवाहरलाल नेहरू ने उनसे इसे फ्लोइंग इटैलिक स्टाइल में हाथ से लिखने की गुजारिश की। नेहरू ने उनसे पूछा कि इस काम की वह कितनी फीस लेंगे। इस पर उन्होंने कहा-
“एक पैसा भी नहीं। मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है और मैं अपनी ज़िन्दगी में खुश हूँ, पर मेरी एक शर्त है कि इसके हर एक पन्ने पर मैं अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपना और दादाजी का नाम लिखूंगा। ”
उनकी इस शर्त को मानकर, भारत सरकार ने प्रेम बिहारी को भारतीय संविधान अपने हाथों से लिखने का अनमोल काम सौंपा। उन्हें संविधान हॉल (बाद में संविधान क्लब हो गया) में एक कमरा दिया गया। उस समय संविधान में, कुल 395 आर्टिकल, 8 शेड्यूल, और एक प्रस्तावना थी। प्रेम बिहारी को यह काम पूरा करने में 6 महीने लगे। इस पूरी प्रक्रिया में 432 पेन-होल्डर निब्स का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कैलीग्राफी के लिए 303 नंबर की निब का इस्तेमाल किया। निब को लकड़ी के होल्डर में लगाकर और फिर उसे स्याही में डुबोकर लिखने के लिए इस्तेमाल किया गया।संविधान की वास्तविक पांडुलिपि (मैनुस्क्रिप्ट) 16X22 इंच की पार्चमेंट कागज़ पर लिखी गयी, जिसका जीवनकाल लगभग 1000 वर्ष का होता है। संविधान की पांडुलिपि में 251 पन्ने हैं, जिसका वजन 3. 75 किग्रा है।
देहरादून में स्थित सर्वे ऑफ इंडिया के कार्यालय में संविधान की हस्ताक्षरित पांडुलिपि को फोटोलिथोग्राफिक तकनीक से प्रकाशित किया गया था। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि संविधान की प्रस्तावना की तरह, इसके पन्नों को मूल डिज़ाइन और लेखन के साथ वितरित नहीं किया गया।