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करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कहानी, व्रत को रखने के नियम एवं पूजा मुहूर्त
बुधवार होने से इस व्रत का फल और बढ़ जाएगा। इसके प्रभाव से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा। 7 शुभ योगों में पूजा करने से महिलाओं को व्रत का पूरा फल मिलेगा। इस योग के प्रभाव से अखंड सौभाग्य के साथ ही समृद्धि भी प्राप्त होगी। इस व्रत को करने से स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और परिवार में सुख भी बढ़ेगा।
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त:
शाम 5:25 से 5:50 तक
शाम 6:05 से 6:50 तक
उसने तरह-तरह के पकवान बनवाए और घर के सभी लोगों ने एक साथ बैठकर भोजन किया। आज भी पड़ोसन ने पूछा तो बहू ने कहा ठंडो बासी। सेठ के लड़के ने सोचा, हो न हो कोई बात अवश्य है जिससे कि मेरी पत्नी ऐसा कहती है। उसने पत्नी से पूछा- तुम रोज ‘ठंडो बासी खाया’ ऐसा क्यों कहती हो, जबकि आज हम सबने एकसाथ बैठकर कई तरह के पकवान खाए? उसकी पत्नी बोली- हम जो खा रहे हैं, वह बाप-बूढ़ों की कमाई है जिस दिन आप कमाकर लाओगे, उस दिन मैं समझूंगी कि ताजा भोजन कर रहे हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार :
एक साहुकार के सात लडके और एक लडकी थी । सेठानी के सहित उसकी बहुओ और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था । रात्रि को साहुकार के लडके भोजन करने लगे तो उन्होने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने उत्तर दिया- भाई! अभी चाँद नही निकला है । उसके निकलने पर अर्ध्य देकर भोजन करूँगी। बहन की बात सुनकर भाइयो ने क्या काम किया कि नगर मे बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी से जाकर उसमे से प्रकाश दिखाते हुए उन्होने बहन से कहा- बहन! चाँद निकल आया है, अर्ध्य देकर भोजन करलो । यह सुन उसने अपनी भाभियो से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा के अर्ध्य दे लो परन्तु वे इस काण्ड को जानती थी उन्होने कहा कि बहन! अभी चाँद नही निकला, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे है भाभियो की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान नही दिया और भाइयो द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्ध्य देकर भोजन कर लिया । इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर मे था उसकी बीमारी मे लग गया । जब उसे अपने किए हुए दोषो का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया। गणेश जी की प्रार्थना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया । श्रद्धानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आर्शीवाद ग्रहण करने मे ही मन को लगा दिया । इस प्रकार उसके श्रद्धा-भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान् गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति का जीवन दान दिया । उसे आरोग्य करने क पश्चात् धन-सम्पति से युक्त कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेगे वे सब इस प्रकार से सुखी होते हुए क्लेशो से मुक्त हो जायेगे।
गणेशजी (विनायकजी) की कहानीः
एक अन्धी बुढ़िया थी जिसका एक लड़का था और लड़के की बहु थी । वह बहुत गरीब थी । वह अन्धी बुढ़िया नित्यप्रति गणेशजी की पूजा करती थी । गणेशजी साक्षात् सन्मुख आकर कहते थे की बुढ़िया माई तु जो चाहे माँग ले । बुढ़िया कहती थी मुझे माँगना नही आता सो कैसे और क्या माँगूँ । तब गणेशजी बोले कि अपने बहू-बेटे से पूछकर माँग लो । तब बुढ़िया ने अपने पुत्र और पूत्रवधू से पूछा तो बेंटा बोला कि धन माँग ले और बहु ने कहा पोता माँग ले। तब बुढ़िया ने सोचा की बेटा बहू तो अपने अपने मतलब की बाते कह रहे है अतः उस बुढ़िया ने पड़ोसियों से पुछा तो उन्होंने ने कहा कि बुढ़िया माँ मेरी थोडी सी जिन्दगी है क्या माँगे धन और पोता, तु तो केवल अपने नेत्र माँग ले जिससे तेरी शेष जिन्दगी सुख से व्यतीत हो जाये । उस बुढ़िया ने बेटे और पड़ोसियों की बात सुनकर घर मे जाकर सोचा, जिससे बेटा बहु और सबका भला हो वह भी माँग लूँ और अपने मतलब की चीज भी माँगलो । जब दूसरे दिन श्री गणेशजी आये और बोले, बोल बुढ़िया क्या माँगती है हमारा वचन है जो तू माँगेगी सो ही पायेगी । गणेश जी के वचन सुनकर बुढ़िया बोली- हे गणेश महराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न है तो मुझे नौ करोड की माया दे, नाती पोता दे, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आँखो में प्रकाश दें और समस्त परिवार को सुख दें और अन्त में मोक्ष दें । बुढिया की बात सुनकर गणेशजी बोले बुढिया माँ तुने तो मुझे ठग लिया । खैर जो कुछ तूने माँग लिया वह सभी तुझे मिलेगा । यूँ कहकर गणेश जी अन्तर्ध्यान हो गए ।
हे गणेशजी जैसे बुढ़िया माँ को माँगे अनुसार सब कुछ दिया है वैसे ही सबको देना और हमको भी देने की कृपा करना ।
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है यह स्त्रियों का मुख्य त्यौहार है सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं
विधि: एक पटटे पर जल से भरा लोटा एवं एक करवे में गेहूँ भरकर रखते हैं दीवार पर या कागज पर चन्द्रमा उसके नीचे शिव तथा कार्तिकेय की चित्रावली बनाकर पूजा की जाती है| चन्द्रमा को देखकर अध्ये देते हैं फिर भोजन करते हैं|
करवा चौथ का उजमन: उजमन करने के लिए एक थाली में पूड़ियाँ, मिष्ठान और फल रखलें| उसके ऊपर एक साडी ब्लाउज और रुपए अपनी श्रध्दा के अनुसार रख लें उस थाली के चारो ओर रोली, चावल से हाथ फेर कर अपनी सासू जी के पांव लगकर उन्हें दें दे|