पूर्ण तितली आसन ( Full butterfly posture)

प्रारम्भिक स्थिति में बैठ जायें। घुटनों को मोड़ें और पैरों के तलवों को एक साथ मिलायें। जितना सम्भव हो एडियों को शरीर के निकट लायें। भीतरी जांध की पेशियों को पूर्णत: ढीला छोड़ दें।
चरण 1: दोनों हाथों से पंजों को कसकर पकड़ें। धीरे-धीरे घुटनों को ऊपर-नीचे करें। बल-प्रयोग न करें। 30 बार घुटनों को ऊपर-नीचे करें।

चरण 2: पैरों के तलवों को एक साथ मिलाये रखें। हाथों को घुटनों पर रखें। हथेलियों का उपयोग करते हुए घुटनों को धीरे-से जमीन की ओर दबायें और उन्हें पुन: ऊपर की ओर आने दें। इस गतिविधि में बल-प्रयोग न करें। 10 से 30 बार इसकी पुनरावृत्ति करें। पैरों को फैला कर विश्राम करें।

श्वसन- अभ्यास से असम्बद्ध सामान्य श्वसन।

सजगता- श्रोणि सन्धि, गति और शिथिलता पर।

सीमायें- सायटिका और कमर-दर्द से पीड़ित व्यक्ति को यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।
लाभ- पद्यासन और ध्यान के अन्य आसनों के लिए पैरों को तैयार करने के लिए दोनों चरण आवश्यक हैं। भीतरी जाँघ की पेशियों में बहुत तनाव रहता है, जो इन आसनों से दूर हो जाता है। लम्बे समय तक पैरों पर खड़े रहने और लम्बी सैर से उत्पन्न थकान भी इनसे मिट जाती है।