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ज्यादा देर तक स्क्रीन पर काम करने से भी हो सकती है परेशानी
ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट डॉक्टर बताते हैं कि फोन पर सलाह लेने वालों में इजाफा हुआ है। आंखों की परेशानी से जूझ रहे लोग बड़ी संख्या में वॉट्सऐप मैसेज, फोटो और कॉल कर परामर्श ले रहे हैं। डॉक्टर के मुताबिक, मरीज के बीच चिंता है कि वे बिना बाहर जाए भी आंखों में रेडनेस का शिकार हो रहे हैं। रामकृष्ण परमार्थ फाउंडेशन मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर और डॉक्टर कहते हैं कि आंखों की परेशानी से जूझ रहे लोगों की संख्या बढ़ी है। डॉक्टर के अनुसार गर्मियों में ड्रायनेस के मामले ज्यादा सामने आते हैं और ज्यादा स्क्रीनटाइम भी इसका मुख्य कारण है। डॉक्टर गैरजरूरी स्क्रीनटाइम में कटौती करने की सलाह भी देती हैं। क्योंकि जितना ज्यादा स्क्रीनटाइम उतनी ज्यादा दिक्कत।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये हैं मुख्य लक्षण
- इरिटेशन: लगातार कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन पर काम या मूवी-गेम्स के कारण इरिटेशन की समस्या भी होती है। इस दौरान व्यक्ति को आंखों की मदद से कोई भी काम करने में असुविधा होती है। इसका कारण और भी कई बीमारियां हो सकती हैं।
- ड्रायनेस: डॉक्टर्स बताते हैं कि गर्मियों में ड्रायनेस आम परेशानी है। ड्रायनेस का मुख्य कारण है आंख में तरल या लुब्रिकेंट की कमी होना। ड्रायनेस ज्यादा बढ़ने पर मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह लें। डॉक्टर रमनानी के अनुसार, इसका इलाज बेहद ही सामान्य है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर आपको ड्रॉप्स दे देंगे, जिसकी वजह से आंखें सूखेंगी नहीं।
- रेडनेस: काम के दौरान आपकी आंखों में रेडनेस और खुजली भी हो सकती है। हालांकि एलर्जी और इंफेक्शन जैसे कई कारणों के कारण आंखों में रेडनेस की परेशानी हो सकती है।
- आंखों से पानी आना: आंखों में से पानी आने के कारण भी एलर्जी, इंफेक्शन, चोट हो सकते हैं। लगातार स्क्रीन पर काम करने के कारण आंखों से पानी आने की परेशानी हो सकती है।
काम के दौरान ऐसे रखें आंखों का ख्याल
- बार-बार आंखें झपकाना: लगातार स्क्रीन के संपर्क में रहना खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर के मुताबिक, आमतौर पर हमारी आंखें एक मिनट में 18-20 बार झपकती हैं, लेकिन स्क्रीन पर काम करते वक्त यह संख्या कम हो जाती है। इससे बचने के लिए कुछ देर में काम रोककर आंखों को बार-बार तेज झपकाएं।
- 20-20-20 रूल: डॉक्टर साधारण से 20-20-20 नियम को फॉलो करने की सलाह देते हैं। इसमें आपको काम के दौरान हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फुट दूर की किसी चीज को देखना है। इससे आपकी आंखों की मसल्स रिलेक्स होती हैं।
- एसी में काम करने से बचें: डॉक्टर बताते हैं कि, एयर कंडीशनर में काम करने से ड्रायनेस की परेशानी बढ़ सकती है। एसी में काम करने से बचें। अगर एसी के बीच काम कर रहे हैं तो थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लें।
- अंधेरे में काम न करें: कमरे की लाइटों को बंद कर काम न करें। डॉक्टर्स के मुताबिक, हमेशा कमरे में रोशनी के बीच या लाइट के बीच ही काम करें।
- ब्रेक लें: लगातार काम करने से आपकी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए कभी भी काम बिना ब्रेक के न करें। काम के दौरान कुछ देर में ब्रेक लेते रहें और नॉर्मल माहौल में घूमें। इसके अलावा अपने नॉर्मल भोजन के साथ मल्टीविटामिन और एंटीऑक्सीडेंट फूड का भी उपयोग करें।
- चेयर हाइट को एडजस्ट करें: डॉक्टर्स के मुताबिक आंखों की सेहत के लिए काम करते वक्त पॉश्चर और मॉनीटर के बीच बैलेंस करना बहुत जरूरी है। कोशिश करें की मॉनिटर की हाइट नीचे हो, क्योंकि नीचे देखने से आंखें थोड़ी ही खुलती हैं और ज्यादा लुब्रिकेंट इवेपोरेट(भाप बनकर उड़ना) नहीं होता।
- एंटीग्लेयर का इस्तेमाल: कंप्यूटर स्क्रीन में एंटीग्लेयर या ब्लू फिल्टर इस्तेमाल करने की सलाह भी डॉक्टर देते हैं। एंटी ग्लेयर स्क्रीन की मदद से मॉनिटर स्क्रीन से निकलने वाली खतरनाक किरणों का असर आंखों पर कम होगा।
- अगर चश्मा लगा है तो उपयोग करें: डॉक्टर के मुताबिक, जिन लोगों को चश्मा लगा है, वे इसका जरूर उपयोग करें। भले ही आपको बगैर चश्मे के भी साफ नजर आए, इसके बाद भी चश्मा जरूर लगाएं।
इन हालातों में तुरंत डॉक्टर की सलाह लें
घर से ही काम कर रहे हैं, तो वहीं खाली बैठे बच्चे मोबाइल पर अपना ज्यादातर वक्त बिता रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर्स माता-पिता को बच्चों को कंट्रोल करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा अगर आप इन परेशानियों से जूझ रहे हैं तो मामला गंभीर हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।- आंखों से जुड़ा काम करने पर ज्यादा तकलीफ होने लगे
- आंख नहीं खोल पाएं
- आंख में दर्द होने लगे
- शाम होते-होते सिर में दर्द
- आंख में चुभन महसूस होने लगे
- पढ़ते वक्त क्लैरिटी न मिल पाए