वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में अनाथ बच्चों को मिलता है मां और नानी का प्यार

वृंदावन में साध्वी ऋतंभरा का एक आश्रम है यहां ऐसे बेसहारा लोगों को सहारा मिलता है जिनके पास अपना परिवार नहीं होता। तीन अलग-अलग आयु वर्ग के लोग होते है। पहला ग्रुप उन बच्चों का है जिनके माता-पिता ने बेसहारा छोड़ दिया। दूसरी कैटेगरी में मिडल एज की महिलएं है और तीसरी श्रेणी में बुजुर्ग महिलाएं है। जिन्हें इनके परिवार वालों ने बोढ समझ कर निकाल दिया।

अनाथ बच्चों को मां और नानी का प्यार

यहां सभी महिलाएं अलग-अलग परिवार बना लेती है। साध्वी ऋतंभरा कहती है कि हर परिवार में 7-8 बच्चे होते है और कुछ मिडल एज की महिलाएं और बुजुर्ग महिलाएं होती है ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इन अनाथ और बेसहारा बच्चों को परिवार की कमी महसूस ना हो। महिलाओं को बच्चे मिल जाए, ममता मिल जाए।

वृंदावन के वात्सल्य ग्राम का अनोखा परिवार

 इसी आश्रम में होती है मां और मासी की। मां और मासी आश्रम के बच्चों का खयाल रखती है। वात्सल्य ग्राम में ऐमी नाम की एक ऐसी महिला मिली जिसके अपने माता-पिता लंदन में रहते है लेकिन यहां का माहौल देखकर वो अपना परिवार छोड़कर अब इसी आश्रम में रहने लगी।

24 साल पहले हुई थी वात्सल्य ग्राम की स्थापना

साध्वी ऋतंभरा ने 24 साल पहले वृंदावन में वात्सल्य ग्राम की स्थापना की थी। यहां ऐसे करीब 20 परिवार है जिनमें 150 बच्चे, लड़कियां और महिलाएं रहती है। 24 साल में काफी कुछ बदला है। वात्सल्य ग्राम में पूरी पीढ़ी को बढ़ते देखा है।

एक जमाने में साध्वी ऋतंभरा को उनके तेज तर्रार भाषण के बारे में जाना जाता था, हिंदुत्व के बारे में बोलने के लिए जाना जाता था लेकिन वात्सल्य ग्राम में उनके जीवन का एक अलग परिचय दिखा। वात्सल्य ग्राम की सबसे खास बात यह है कि इसमें बेसहारा बच्चों को मां मिलती है, बेसहारा मां को बच्चे और घर मिलता है लेकिन समस्या काफी बड़ी है समाज में ऐसे बहुत सारे वात्सल्य ग्राम की जरूरत है।