पूर्व राष्ट्रपति भारत-रत्न प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले उनके फेफड़े में इंफेक्शन बढ़ने से उनको वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।  प्रणब मुखर्जी दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती थे, इसी महीने उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी।

पूर्व राष्ट्रपति और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से नवाजे गए 84 वर्षीय प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट करते हुए दी। 

कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें 10 अगस्त को दिल्ली में आर्मी रिसर्च ऐंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनके दिमाग में बने खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद से ही वह वेंटिलेटर पर थे।

देश के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को हुआ। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में उनका जन्म हुआ था। 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। लंबे वक्त तक कांग्रेस से जुड़े रहे प्रणब दा वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रपति पद पर काबिज रह चुके हैं।

अपडेट्स…

  • प्रणब मुखर्जी के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया।
  • भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने कहा कि अपने करियर के दौरान प्रणब मुखर्जी ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि वह एक उत्कृष्ट राजनेता, लेखक और सभी के द्वारा प्यार किए जाने वाले इंसान थे। उन्होंने जिस तरह अपने देश की सेवा की, उसकी तुलना नहीं की जा सकती है।
  • वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा- वो मेरे लिए एक साथी से कहीं बढ़कर थे। हमने अपने सामाजिक के भीतर और बाहर बहुत सारे अनमोल क्षण व्यतीत किए हैं। उनके साथ अक्सर खाना खाने की यादें मेरे दिल में खास जगह रखती हैं।
  • संघ ने कहा कि भारत के राजनीतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा। संघ के प्रति प्रणब मुखर्जी के प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्गदर्शक थे। उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

पिछले साल मिला था भारत रत्न
प्रणब को पिछले साल भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था। बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वि‍टर पर लिखा कि पिछले साल 8 अगस्त मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था, क्योंकि उस दिन मेरे पिता को भारत रत्न से नवाजा गया था। उसके ठीक एक साल बाद 10 अगस्त को उनकी तबीयत खराब और गंभीर हो गई।

क्लर्क रहे, कॉलेज में भी पढ़ाया
प्रणब का जन्म ब्रिटिश दौर की बंगाल प्रेसिडेंसी (अब पश्चिम बंगाल) के मिराती गांव में 11 दिसंबर 1935 को हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री में एमए किया। वे डिप्टी अकाउंट जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में क्लर्क भी रहे। 1963 में वे कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे।

1969 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर
प्रणब के पॉलिटिकल करियर की शुरुआत 1969 में हुई। उन्होंने मिदनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाला था। तब प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। 1969 में ही प्रणब राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए।

  ” नई सुबेह सोसाइटी श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है। ओम शांति।”