NAI SUBEH
12 बातें जो हर सनातन धर्म अनुयायी को ध्यान रखनी चाहिए
1. क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के house of lord के सदस्य रहे थे? यदि नहीं,
तो फिर ये क्या Lord Rama, Lord Krishna लगा रखा है ? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहिये अंग्रेजी में भी।
2. किसी की मृत्यु होने पर RIP बिलकुल मत कहिये। यानी rest in peace जो दफ़नाने वालों के लिए कहा जाता है।
आप कहिये “ओम शांति”, अथवा “मोक्ष प्राप्ति हो” ! आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती। आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिलता है।
3. अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को कभी भी mythological मत कहियेगा. “mythological” शब्द बना है “myth” से और “myth” शब्द बना है हिंदी के “मिथ्या” शब्द से। “मिथ्या” अर्थात ‘झूठा’ या ‘जिसका कोई अस्तित्व ना हो’ और हमारे सभी देवी देवता, राम और कृष्ण वास्तविक रूप में प्रकट हुए हैं
ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं , कोई mythological कलाकार नहीं।
4. अपने इष्ट देवों का नाम आदर सहित लें। उनका मज़ाक न बनने दें।
5. हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें ! मंदिर देवालय होते हैं। भगवान के निवासगृह ! वह प्रार्थनागृह नहीं होते।
मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती ! अन्य पूजा पद्धति में सिर्फ साप्ताहिक प्रार्थना होती है, जबकि हिंदू धर्म में ये नित्य कर्म है।
6. अपने बच्चों के जन्मदिन पर दीप बुझा के अपशकुन न करें। अग्निदेव को न बुझाएँ दीप प्रज्ज्वलित करना अर्थात प्रकाश का संचार करना।
अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखायें “तमसो मा ज्योतिर्गमय“( हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएँ ) ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं।
7. कृपया spirituality और materialistic जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें । हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है। spirituality और materialistic जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले यूरोप से यहाँ आये जिन्होंने चर्च और सत्ता में फर्क किया था या विज्ञान और धर्म में। इसके विपरीत भारतवर्ष में ऋषि मुनि हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा हैं।
8. “Sin” इस शब्द के स्थान पर “पाप” शब्द का प्रयोग करें।
हम हिंदूओं में केवल *धर्म* ( कर्तव्यपरायणता, न्याय, एवं प्राप्त अधिकार ) और *अधर्म* (जब धर्म पालन न हो) है ! पाप अधर्म का हिस्सा है।
9. ध्यान के लिये ‘meditation’ एवं प्राणायाम के लिये ‘breathing exercise’ इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें।
यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं।
10. क्या आप भगवान से डरते हैं ? नहीं, डरना भी नहीं चाहिए, क्योंकि भगवान तो चराचर में विद्यमान हैं। अजन्मा, परोपकारी, न्यायकारी और सर्वशक्तिमान हैं। इतना ही नहीं हम मे स्वयं भगवान का अन्श मौजुद हैं।
तो फिर अपने आपको “God fearing” अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहिये। God believer या भगवान में विश्वास रखने वाला कहिए।
11. कभी भी किसी को बधाई देनी हो तो ‘बधाई’ या ‘शुभकामनाएँ’ शब्द का प्रयोग कीजिये और बधाई स्वीकार करनी हो तो धन्यवाद शब्द प्रयोग कीजिये। मुबारक और शुक्रिया शब्द का प्रयोग न किया जाए क्योंकि इनके अर्थ अलग हैं।
12. हिन्दुओं में 7 फेरे लेकर विवाह किया जाता है। कोई कॉन्ट्रैक्ट का विवाह नहीं होता। इसलिए TV आदि फिल्में देखकर-देखकर भेड़चाल में अपनी धर्मपत्नी को बीवी मत कहिए। यदि आप उन्हें अपनी जीवन संगिनी मानते हैं तो पत्नी शब्द प्रयोग कीजिये। यदि आप उनको कॉन्ट्रैक्ट के साथ ब्याह कर लाये हैं तो आप बीवी कह सकते हैं।
ध्यान रहे, विश्व में केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है। हमारा उद्देश्य किसी के विरुद्ध नहीं है, ये बस अपनी सनातन संस्कृति के लिए आदर है।
सनातन धर्म के मान के लिए, सम्मान बढ़ाने के लिए इन विचारों को अपने सभी मित्रों एवं संबंधियों के साथ अवश्य ही साझा करें और अपने हिन्दू होने पर गर्व और गौरव करें।