यह व्रत करने का महत्व 88 हजार ब्राह्मणों को भोज करवाने के समान

योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2020) तिथि निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है।  इस दिन श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है। योगिनी एकादशी का व्रत व पूजन करने से सारे पापों का नाश हो जाता है तथा सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने का महत्व 88 हजार ब्राह्मणों को भोज करवाने के समान होता है। 

योगिनी एकादशी व्रत कथा  
स्वर्ग लोक की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम के राजा का राज था। वह बहुत धर्मी और भगवान शिव के उपासक थे। आंधी आए, तूफान आए, कोई भी बाधा उन्हें भगवान शिव की पूजा करने से नहीं रोक सकती थी। भगवान शिव के पूजन के लिए हेम नामक एक माली फूलों की व्यवस्था करता था। वह रोज पूजा से पहले कुबेर को फूल देकर जाया करता था। हेम अपनी पत्नी विशालाक्षी से बहुत प्रेम करता था। एक दिन हेम पूजा के लिए पुष्प तो ले आया लेकिन रास्ते में उसने सोचा अभी पूजा में तो समय है ,तो क्यों ना घर  चला जाए। फिर उसने अपने घर की राह पकड़ ली। घर आने के बाद वह अपनी पत्नी को देख कर कामासक्त हो गया ,और वह उसके साथ रमण करने लगा। वही पूजा का वक्त निकला जा रहा था, और राजापुष्प ना आने के कारण व्याकुल हुए जा रहे थे। इसी वजह से पूजा का वक्त बीत गया, और हेम पुष्प लेकर नहीं पहुंच पाया। तो राजा ने सैनिकों को भेज उसका पता लगाने के लिए कहा। सैनिकों ने लौटकर बताया कि वह तो महा पापी महाकामी है। वह अपनी पत्नी के साथ रमण कर रहा था। यह सुन राजा को गुस्सा आ गया। उन्होंने तुरंत हेम को पकड़कर लाने के लिए कहा। अब हेम काँपते हुए राजा के सामने खड़ा हो गया। क्रोधित राजा ने कहा हे नीच ,महा पापी तुमने काम वश होकर भगवान शिव का अनादर किया है। मैं तुझे श्राप देता हूं कि तुझे स्त्री का वियोग सहना पड़ेगा और मृत्यु लोक में जाकर कोढ़ी हो जाएगा। अब कुबेर के शाप से हेम माली भूतल पर पहुंच गया और कोढ़ ग्रस्त हो गया। पृथ्वी पर भूख प्यास के साथ-साथ कोढ़ की वजह से बहुत दुखी हुआ। वह एक दिन घूमते घूमते मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। ब्रह्मा जी की सभा के समान ही मार्कंडेय ऋषि की भी सभा का नजारा था। वह उनके चरणों में गिर पड़ा और। और महर्षि के पूछने पर अपनी व्यथा से उन्हें अवगत कराया। ऋषि मार्कंडेय ने कहा, तुमने मुझसे सत्य वचन बोले हैं। इसलिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष को योगिनी एकादशी होती है। इसका विधिपूर्वक व्रत करोगे तो तुम्हारे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। माली ने ऋषि को साष्टांग प्रणाम किया और उनके बताए अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस प्रकार उसे अपने शाप से छुटकारा मिला। तत्पश्चात वह अपने वास्तविक रूप में आकर अपनी स्त्री के साथ सुख से रहने लगा।

योगिनी एकादशी व्रत विधि:
परिवार के बंधू-बांधवो सहित स्नान ध्यान करके, सर्व प्रथम ज्योत प्रज्वलित कर कंकु चावल से ज्योत का पूजन करे तद्पश्च्यात धरती माँ की पूजन कर कलश की पूजन करे। योगिनी एकादशी व्रत कथा का वाचन कर भगवान को नवैद्य अर्पित करे।

विशेष: एकादशी भोजन में भात (चावल) नही बनाना चाहिए और ना ही विष्णु भगवान को अक्षत (चावल) अपिर्त नहीं करना चाहिए।