टेलीविज़न के इतिहास की एक बेजोड़ कृति; कैसे बनी थी, श्याम बेनेगल की ‘भारत एक खोज’

“…सृष्टि से पहले सत नहीं था
असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं

आकाश भी नहीं था

छिपा था क्या, कहाँ
किसने ढका था
उस पल तो
अगम अतल जल भी कहाँ था…”

ये पंक्तियाँ वैसे तो ऋगवेद के श्लोक का अनुवाद हैं, पर बहुत से लोगों के लिए इन पक्तियों की पहचान आज से दो दशक पहले बने दूरदर्शन के धारावाहिक ‘भारत एक खोज’ के गीत के रूप में है। ‘भारत एक खोज’ – 53-एपिसोड का एक धारावाहिक, जो साल 1988 से 1989 के बीच हर रविवार सुबह 11 बजे प्रसारित होता था।

इस धारावाहिक के निर्माता और निर्देशक थे, हिन्दी फिल्मों के मशहूर निर्देशक श्याम बेनेगल। अंकुर, निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फिल्मों के लिये चर्चित बेनेगल समानांतर सिनेमा के अग्रणी निर्देशकों में शुमार किये जाते हैं।

बेनेगल ने ही 80 के दशक में वह धारावाहिक दिया जो न केवल दुरदर्शन बल्कि भारत देश के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु द्वारा लिखी गयी किताब ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ (भारत की खोज) पर आधारित यह टीवी सीरीज़ शायद टेलीविज़न के इतिहास में अब तक का सबसे उत्तम रूपांतरण है।

साल 1980 के दशक में ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ जैसे सीरियल भारत के हर घर में अपनी जगह बना चुके थे। उस समय भारत सरकार को लगा कि भारत के विशाल इतिहास पर भी उन्हें एक टेलीविज़न धारावाहिक बनाना चाहिए, जो कि आम नागरिकों तक भारत की इस अनसुनी कहानी को पहुंचा सके।

इस काम के लिए चुना गया श्याम बेनेगल को। हालांकि, अपने एक साक्षात्कार में बेनेगल ने बताया था कि ‘महाभारत’ धारावाहिक बनाने में उनकी दिलचस्पी थी, लेकिन वह पहले ही बी.आर चोपड़ा को दिया जा चूका था। ऐसे में उनके पास भारतीय इतिहास पर एक धारावाहिक बनाने का ऑफर आया।

बेनेगल ने यह ऑफर स्वीकार किया और इस टीवी सीरियल का आधार चुना गया नेहरु द्वारा लिखी गयी किताब ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ को। बेनेगल बताते हैं, “यह किताब मुझे बचपन में मेरे जन्मदिन पर तोहफे के तौर पर मिली थी और यह किताब मेरे लिए भारतीय इतिहास से रूबरू कराने वाली पहली कड़ी थी।”

 
‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ किताब

आज भी बहुत से लोग इस किताब को भारतीय इतिहास के एक परिचय या फिर एक प्रस्तावना के रूप में देखते हैं। नेहरु ने साल 1944 में अप्रैल-सितंबर के बीच अहमदनगर में अपने जेल कारावास के समय इस किताब को लिखा था। इस एक किताब में उन्होंने भारत के 5,000 सालों के इतिहास को लिखा है।

यह किताब श्याम बेनेगल के ‘भारत एक खोज’ का आधार बनी और इसी धारावाहिक के साथ उन्होंने छोटे परदे पर कदम रखा। उनकी टीम में लगभग 15 इतिहासकार थे, जिन्होंने सीरीज़ के हर एक एपिसोड के लिए बेनेगल और उनके लेखकों की टीम का मार्गदर्शन किया। स्क्रिप्ट को लिखा अतुल तिवारी और शमा ज़ैदी जैसे लेखकों की टीम ने। इस टीम में लगभग 25 लेखक थे।

इसके अलावा भारतीय इतिहास के हर एक दौर को दर्शाने के लिए, उस दौर के विशेषज्ञों से भी सलाह-मशवरा किया गया था। इतिहास के विषय के 40 विशेषज्ञ बेनेगल की प्री-प्रोडक्शन टीम का हिस्सा रहे।

इस धारावाहिक की स्क्रिप्ट साल 1986 से बनना शुरू हुई। कहा जाता है कि इस दौरान 10,000 से भी ज्यादा इतिहास सम्बन्धित किताबों से बेनेगल और उनकी टीम घिरी रहती थी।

‘भारत एक खोज’ का पहला एपिसोड साल 1988 में नेहरु के जन्मदिवस, 14 नवंबर को प्रसारित हुआ। यह एक साप्ताहिक शो था। हर हफ्ते रविवार को एक एपिसोड दिखाया जाता था। एक एपिसोड की अवधि 60 मिनट से 90 मिनट होती थी। हिंदुस्तान टाइम्स को एक साक्षात्कार में बेनेगल ने बताया था,

“यह धारावाहिक बहुत सफल रहा और बाद में भी कई बार फिर से चैनल पर चलाया गया। उस समय यह डीवीडी पर भी उपलब्ध होता था… हम देश के इतिहास के बारे में बात करते समय हर एक तथ्य को जांच-परख कर एकदम सटीक बनाना चाहते थे। आखिर, हम इस शो के जरिये एक बार फिर भारतीय इतिहास को जी रहे थे।”

यह सीरीज़ भारतीय सिनेमा और टेलीविज़न के बहुत से कलाकारों के लिए उनका डेब्यू सीरियल बना। लगभग 350 थिएटर आर्टिस्ट ने इस धारावाहिक से अपना एक्टिंग करियर शुरू किया, जिनमें से ज्यादातर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के छात्र थे। बेनेगल ने धारावाहिक का सूत्रधार स्वयं जवाहर लाल नेहरु को रखा और उनका किरदार निभाया रोशन सेठ ने।

रोशन सेठ के साथ-साथ, ओम पूरी, पीयूष मिश्रा, अलोक नाथ, शबाना आज़मी, अमरीश पूरी, नसरुद्दीन शाह जैसी कई मशहूर हस्तियों ने भी इस धारावहिक में किरदार निभाए। ओम पूरी ने जहाँ एक तरफ कई एपिसोड में उम्दा किरदार निभाए तो दूसरी ओर उन्होंने अपनी दमदार आवाज़ में शो के कथाकार के रूप में योगदान दिया। बेनेगल ने इस बारे में कहा,

“नेहरु की किताब में भी बहुत जगह खालीपन था; जैसे कि उन्होंने किताब में दक्षिण भारत की बात नहीं की है। यह किताब हमें नेहरु की दृष्टि से भारतीय इतिहास के बारे में बताती है। लेकिन इस खालीपन को भर कर ही हम असल मायनों में दर्शकों को निष्पक्ष इतिहास बता सकते थे। इसलिए नेहरु के अलावा एक और सूत्रधार की जरूरत थी, जो उस खालीपन को भरे और ओम पूरी ने यह काम बेहतरीन ढंग से किया।”

शो के लिए मुंबई की फिल्म सिटी के दो फ्लोर बुक किये गये थे और 140 से भी ज्यादा सेट बनाये गये थे। उन्होंने इतिहास की कहानी को पारम्परिक तरीकों से नहीं, बल्कि रचनात्मक तरीके से परदे पर उतारा।

यह पूरा शो डोक्युमेंटरी स्टाइल में बनाया गया था, लेकिन बहुत जगह बेनेगल ने नाटक और ड्रामा को भी जगह दी। जैसे कि महाभारत के एपिसोड को उन्होंने एक लोक कलाकार की आवाज़ में दर्शकों तक पहुंचाया। उन्होंने कहानी बताने की अलग-अलग विधाओं का इस्तेमाल किया। यह बेनेगल का दृष्टिकोण था क्योंकि उन्हें भारतीय इतिहास ऐसे लोगों को बताना था जिन्होंने स्कूलों में इसे नहीं पढ़ा है।

इस धारावाहिक को बनाते समय बेनेगल और उनकी टीम ने हर दिन नई चुनौतियों का सामना किया और वे कभी पीछे नहीं हटे। बल्कि कुछ और था जो उन्हें हमेशा परेशान करता।

“मैं इसे पूरा करना चाहता था। मुझे सपने आने लगे थे कि मैं मर गया हूँ। मुझे बस चिंता थी कि अगर मैं मर गया. तो शो का क्या होगा और अगर यह अधुरा रह गया तो?” श्याम बेनेगल ने एक इंटरव्यू में कहा था।

बताया जाता है कि ओम पूरी ने शो की शूटिंग के दौरान सिनेमा से एक साल का ब्रेक ले लिया था और खुद को पूरी तरह से ‘भारत एक खोज’ के लिए समर्पित कर दिया। लेकिन इन सभी कलाकारों की मेहनत रंग लायी। आज भी लोग ‘भारत एक खोज’ के बारे में बात करते हैं। शो से जुड़े सभी कलाकारों का शायद वह सबसे बेहतरीन काम था, जिसे बेनेगल के निर्देशन ने और निख़ारा।

आप ‘भारत एक खोज’ धारावाहिक के सभी एपिसोड यहाँ देख सकते हैं।