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श्री राजीव दीक्षित : अ रीयल हीरो
जीवन परिचय:
राजीव दीक्षित जी के परिचय मे जितनी बातें कही जाए वो सभी कम है! इतने विराट व्यक्तित्व को कुछ चंद शब्दो में बयान कर पाना असंभव है! उनको पूर्ण रूप से जानना है तो आपको उनके व्याख्यानों को सुनना पड़ेगा। राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में पिता राधेश्याम दीक्षित एवं माता मिथिलेश कुमारी के यहाँ हुआ था। बचपन से ही राजीव भाई को देश की समस्याओं को जानने की गहरी रुचि थी। उनका मैगजीनों और सभी प्रकार के अखबारो को पढने में प्रति माह उस समय 800 रूपये का खर्च आता था। वे अभी नौवीं कक्षा मे ही थे कि उन्होने अपने इतिहास के अध्यापक से एक ऐसा सवाल पूछा जिसका जवाब उस अध्यापक के पास भी नही था जैसा कि आप जानते है कि हमको इतिहास की किताबों मे पढाया जाता है कि अंग्रेजो का भारत के राजा से प्रथम युद्ध 1757 मे पलासी के मैदान मे रोबर्ट क्लाइव और बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला से हुआ था। उस युद्ध मे रोबर्ट क्लाइव ने सिराजुद्दोला को हराया था और उसके बाद भारत गुलाम हो गया था। राजीव भाई ने अपने इतिहास के अध्यापक से पूछा कि सर मुझे ये बताइए कि प्लासी के युद्ध में अंग्रेजो की तरफ से लड़ने वाले कितने सिपाही थे, तो अध्यापक कहते थे कि ‘मुझको नही मालूम’ राजीव भाई ने पूछा ‘क्यों नहीं मालूम’ तो कहते थे कि – मुझे किसी ने नही पढाया तो मै तुमको कहाँ से पढा दूँ? तब राजीव भाई ने उनको बराबर एक ही सवाल पूछा कि ‘सर आप जरा ये बताईये कि बिना सिपाही के कोई युद्ध हो सकता है’ तो अध्यापक ने कहा ‘नही’ तो फिर राजीव भाई ने पूछा फिर हमको ये क्यों नहीं पढाया जाता कि युद्ध में कितने सिपाही थे अंग्रेजो की तरफ से? और दूसरी तरफ एक और सवाल राजीव भाई ने पूछा था कि अच्छा ये बताईये कि अंग्रेजो के पास कितने? खैर इस सवाल का जवाब बहुत बडा और गंभीर है कि आखिर इतना बडा भारत मुठ्ठी भर अंग्रेजों का गुलाम कैसे हो गया? इसका जवाब आपको राजीव भाई के एक व्याख्यान जिसका नाम ‘आजादी का असली इतिहास’ मे मिल जाएगा। देश की आजादी से जुडे ऐसे सैंकडों – सैंकडों सवाल दिन रात राजीव भाई के दिमाग मे घूमते रहते थे। उनके पिताजी बी. टी. ओ. ऑफिसर (ब्रिज एंड टनल – पुल और सुरंग अधिकारी) थे। उनके दादा और दादी ने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था।
श्री राजीव दीक्षित जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव से ही पूरी की। उसके बाद पी.डी. जैन इंटर कॉलेज फिरोजाबाद से उन्होंने 12वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद आगे की पढाई के लिए इलाहाबाद गए। वे इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे। वर्ष 1984 में यहाँ आकर जे. के. इंस्टिट्यूट ऑफ़ अप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी में पढाई करने लगे। इसी वर्ष 3 दिसम्बर की रात को भोपाल गैस कांड हुआ जिसमें लगभग 22000 लोग मौत की नींद सो गए। उनमें से पीड़ित कुछ लोगों से राजीव जी मिले, उनकी पीड़ा देखकर और उन्हें न्याय दिलाने के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी (भोपाल) को देश से भगाने के काम में लग गए। इस कांड से वे इतने परेशान हुए कि उनकी बी. टेक. की पढाई बीच में ही छूट गई। तब राजीव भाई ने इसके पीछे के षड्यंत्र का पता लगाया और ये खुलासा किया कि ये कोई घटना नहीं थी बल्कि अमेरिका द्वारा किया गया एक परीक्षण था।
इसी दौरान अपने शोध कार्य के लिए वे एम्स्टर्डम (हॉलैंड) की यात्रा पर गए। वहाँ उन्होंने अपना शोध को पढ़ना पढ़ा। तभी एक डच वैज्ञानिक ने कहा कि आप अपना शोध कार्य हिंदी में क्यों नही पढ़ रहे? आपसे पहले जितने भी वैज्ञानिक आए सबने अपना शोध कार्य अपनी अपनी मातृभाषा में पढ़ा। इसके साथ ही उस वैज्ञानिक ने यह भी कहा, अगर आप कुछ मौलिक शोध करना चाहते हैं तो आपको अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए। अगर आप किसी दूसरी भाषा में करते हैं तो आप मौलिक शोध नही कर पाएँगे, सिर्फ नकल करेंगे। इस घटना का राजीव जी पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने इस पर गहन चिंतन किया। वो सोचने लगे जब सभी देश अपनी – अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा देते हैं तो भारत में अंग्रेजी भाषा में क्यों शिक्षा दी जा रही हैं? जब वे हॉलैंड से वापस भारत लौटे तो उन्होंने भारत को स्वदेशी रूप से मजबूत और संपन्न बनाने का लक्ष्य बनाया।
संक्षिप्त परिचय:
● जन्म – 30 नवंबर, 1967
● जन्म स्थल – गाँव : नाह, जिला : अलीगढ़, उत्तरप्रदेश
● पिता का नाम – राधेश्याम दीक्षित (बी.टी.ओ. ऑफिसर)
● माता का नाम – मिथिलेश कुमारी दीक्षित
● भाई – प्रदीप दीक्षित
● बहन – लता शर्मा
● काम – उत्कृष्ट वक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, वैज्ञानिक, वैद्य, अर्थशास्त्री
● शिक्षा – बी. टेक, एम. टेक
● प्रमुख उपलब्धियाँ – आज़ादी बचाओ आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन के सूत्रधार, 20 वर्षों में 5000 से ज्यादा व्याख्यान
● मृत्यु – 30 नवंबर 2010 (43 वर्ष)
● मृत्यु स्थल – भिलाई, छत्तीसगढ़
● पत्नी – शादी नही की, आजीवन ब्रह्मचारी (देश की सेवा के लिए)
मृत्यु:
30 नवम्बर 2010 को दीक्षित को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया। उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि दीक्षित होम्योपैथिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ। ( कुछ लोग मानते हैं कि उनके सर में चोट लगी थी और जब उन्हें अंतिम दर्शन के लिए सबके सामने किया गया था तो उनके सीर पर काली पन्नी बांधी गई थी जब पूछा गया कि वह उनके सर पर पन्नी क्यों बांधी हुई है तो इसका कोई जवाब नही आया) इसलिए यह सिद्ध नहीं है कि हार्ट अटैक आया था अब आप सोच सकते है की हार्ट अटैक से निधन हो जाने पर काली पन्नी क्यों बांधी गई थी
कार्य:
- दीक्षित ने स्वदेशी आन्दोलन तथा आज़ादी बचाओ आन्दोलन की शुरुआत की तथा इनके प्रवक्ता बने।
- उन्होंने जनवरी 2009 में भारत स्वाभिमान न्यास की स्थापना की तथा इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव बने।